Tokyo 2020 Olympics में नीरज चोपड़ा के शानदार प्रदर्शन के बाद अब सबकी नजरें Tokyo 2020 Paralympics में भागीदार Devendra Jhajharia पर टिकी है।
2 गोल्ड मेडल जीतने वाले 40 वर्षीय देवेंद्र की नजर अब तीसरे गोल्ड मेडल जीतने पर होगी। Devendra Jhajharia पद्मश्री से सम्मानित होने वाले भारत के पहले पैरा एथलीट हैं।
तो आइए इस ब्लॉग में देवेंद्र झाझरिया और उनके कैरियर के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
Devendra Jhajharia Tokyo 2021 जीवन परिचय
40 वर्षीय Devendra Jhajharia भारत के लिए पैरालंपिक्स में दो गोल्ड मेडल जीतने वाले 1 मात्र खिलाड़ी है।
2004 और 2016 में गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र का जन्म 1981 में राजस्थान के चारु जिले के एक गांव में हुआ था।
8 साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते हुए उन्होंने गलती से बिजली के तार को छू लिया जीसके बाद डॉक्टरों को उनके एक हाथ को काटना पड़ा । द्ववेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उस घटना के बाद उनको मृत घोषित कर दिया गया था ।
“मैं जब पेड़ से नीचे आया मुझे लोगो ने समझा मैं मर चुका हूं, मेरा बांया हाथ पूरी तरह से जल चुका था । धीरे धुरे मुझे थोड़ा होश आया लोग मुझे डॉक्टर के पास ले गए ।
डॉक्टर ने कहा मैं अपनी जिंदगी में पहले की तरह कभी मजबूत नहीं हो पाऊंगा लेकिन भगवान का मकसद कुछ और था। 11000 Volt के तार ने भले ही उनका एक हाथ छीन लिया था ।
लेकिन उनका वो जज्बा नहीं जिसने उन्हें आज इस मुकाम पर ला खड़ा किया है । देवेंद्र कई बार ये बात बता चुके हैं कि “मैंने भाला फेक को इसलिए चुना क्योंकि मैं इसे एक हाथ से भी कर सकता था।
आपको बता दें कि इस गेम दूसरे हाथ का भी उतना ही रोल रहता है जितना की पहले का।इस बात से ये अंदाजा हो जाता है कि देवेंद्र के लिए यह कितना मुश्किल रहा होगा।
लेकिन हार ना मानने और कुछ भी कर जाने की ये ज़िद ही थी। जिसने इस खेल को देवेंद्र झाझड़िया Devendra Jhajharia Tokyo 2021 जैसा महान खिलाड़ी दिया।
Devendra Jhajharia Career
उस घटना ने देवेंद्र और उनके परिवार जो झकझोर के रख दिया था अब वह नॉर्मल बच्चे की तरह नहीं थे। देवेंद्र बताते हैं कि वह बाहर खेलने जाने से डरते थे कि कहीं बाकी बच्चे उन्हें चिढ़ाने ना लगे।
लेकिन उनकी मां ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें जबरदस्ती खेलने भेजा। बाकी लोगों से अलग उनकी मां ने हमेंशा उनको अपने करियर के रूप में खेल को चुनने की सलाह दी।
परिस्थितियों से लड़ते हुए उन्होंने खेलना शुरू किया। वे पढ़ाई के साथ साथ भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने लगे। चुकी गांव में प्रोफेशनल जैवलिन मिलना मुश्किल था इसलिए उन्होंने लकड़ी का भालाबनाकर अभ्यास करना शुरू किया।
अपनी लगन और मेहनत के बल पर उन्होंने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। उनके लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी उन्होंने साबित कर दिया वे कमजोर नहीं हुए हैं ।वे बताते हैं के उस वक्त वह मेडल उनके लिए ओलंपिक मेडल जैसा ही था।
1997 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कोच RD सिंह की नजर देवेंद्र झाझरिया पर पड़ी। उन्होंने इनकी मेहनत और टैलेंट को देखते हुए अपना शिष्य बनाया और इस खेल को पूर्ण रूप से अपना कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया ।
उनकी बात मानते हुए देवेंद्र ने उनसे प्रशिक्षण देना आरंभ किया और साथ में पढ़ाई भी करते रहे। 2001 में उन्होंने अजमेर कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी की ।
धीरे-धीरे देवेंद्र की मेहनत रंग लाने लगी और उन्होंने एक-एक करके कई मेडल भारत के नाम किए । देवेंद्र के इस सफलता में उनकी मां जीवनी देवी, पिता राम सिंह और कोच RD सिंह का बहुत बड़ा हाथ है ।
Devendra Jhajharia को मिले पुरस्कार
◆29 अगस्त 2005 को पूर्व राष्ट्रपति APJ अब्दुल कलाम द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किए गए।
◆2005 में ही देवेंद्र राजस्थान सरकार द्वारा महाराणा प्रताप पुरस्कार से सम्मानित किए गए
◆2012 में भारत के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री से देवेंद्र झाझरिया को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही वे भारत के पहले ऐसे पैरा एथलीट बने जिनको यह सम्मान प्राप्त हुआ।
◆2014 मैं Devendra Jhajharia ने FICCI स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर का अवार्ड अपने नाम किया।
◆2017 में देवेंद्र को भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
टोक्यो 2021 पैरालंपिक में देवेंद्र झाझरिया
हर बार की तरह इस बार भी Devendra Jhajharia से देश को बहुत उम्मीदें हैं। सिलेक्शन ट्रायल में 65.71 मीटर के एक नए रिकॉर्ड के साथ की उन्होंने टोक्यो 2021 पैरालंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर लिया है।
और अब उनकी नजर अपने तीसरे स्वर्ण पदक जीतने पर होगी जिसके वह प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
40 वर्षीय Devendra Jhajharia भारत के लिए पैरालंपिक्स में दो गोल्ड मेडल जीतने वाले 1 मात्र खिलाड़ी है।
2004 और 2016 में गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र का जन्म 1981 में राजस्थान के चारु जिले के एक गांव में हुआ था।
देवेंद्र का जन्म 1981 में राजस्थान के चारु जिले के एक गांव में हुआ था। देवेंद्र झाझरिया के गाव का चारु है ।
देवेंद्र झाझरिया 8 साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते हुए। उन्होंने गलती से बिजली के तार को छू लिया जीसके बाद डॉक्टरों को उनके एक हाथ को काटना पड़ा । द्ववेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उस घटना के बाद उनको मृत घोषित कर दिया गया था ।